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छाने की कुछ ललक इतनी है
छाने की कुछ ललक इतनी है
कि बहुत कुछ खोना स्वीकार लिए
दर्द और वेदना में
हंस कर जीना स्वीकार लिए

पथ प्रदर्शक बनाकर रहना
नहीं, संघर्ष से लड़ना स्वीकार लिए
आभाओं में घुट-घुट कर दम तोड़ने से अच्छा
संबलता से चलना स्वीकार लिए

पत्थर से टकराए
फूलों से महकना सीख लिए
जीवन की कणिकाओं से
बुलबुल सा नाचना गाना सीख लिए

दर्द किसे कहते हैं
दर्द मिला तो दर्द देना भूल गए
आंशू पीएं,जब से उदासी का
तब से जबरन किसी का हक मारना भूल गए

ऊंचाई पर चढ़े तो उंचाई किसे कहते हैं
खुद...