...

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समय के आकार में बिखर जाएगा
#बिखर
निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर बे;
शीशा कहा टिकता गिर कर रे,
सूर्य कहा उदित होता रात्रि में
चंद्र कहा चांदनी बिखेरता दिन में
समय गरिमा में सब पाबंद होते
मृत्यु के भी समय के पूर्व
द्वार बंद होते
निखर जाएगा समझौता कर ले
थोड़ा विवेक विचार कर के
विनय को अंगीकार कर ले
झुक जाओ आज के युग में
मुख पर शास्वत मधुर वचन रख ले
निखर जाएगा समझौता कर ले।



© shivani jain