मर्म
खुद पर इतना गुमान ना कर
तू ना जाने स्त्री का मन
अकेली होकर भी,वो अकेली नहीं
लिपटी...
तू ना जाने स्त्री का मन
अकेली होकर भी,वो अकेली नहीं
लिपटी...