हे अवधपति हे रघुनन्दन
हे अवधपति हे रघुनन्दन
मुझको क्यू यूं तरसाते हो
दे दो मुझको भी दर्शन
इतना क्यू इतराते हो
श्यामल सूरत लट घुँघराले
कौशीलया के राजदुलारे
अवध में पलना झूल रहे
या छवि को आयो मैं...
मुझको क्यू यूं तरसाते हो
दे दो मुझको भी दर्शन
इतना क्यू इतराते हो
श्यामल सूरत लट घुँघराले
कौशीलया के राजदुलारे
अवध में पलना झूल रहे
या छवि को आयो मैं...