...

4 views

हे अवधपति हे रघुनन्दन
हे अवधपति हे रघुनन्दन
मुझको क्यू यूं तरसाते हो
दे दो मुझको भी दर्शन
इतना क्यू इतराते हो

श्यामल सूरत लट घुँघराले
कौशीलया के राजदुलारे
अवध में पलना झूल रहे
या छवि को आयो मैं...