...

3 views

चीखता दिल...
" जोरों से चीखता रहा दिल, सन्नाटे की चाहत में,
तूफान बन गया बवंडर, वक्त के आहट में,
क्यू दर्द पर दर्द ये वक्त दिए जा रहा है,
जैसे मेरे ताजे जख्मों पर नमक लगा रहा है,
मेरे जिन्दगी के कमरे में कहां कोई खिड़की है,
चारो तरफ बस अंधेरा मडरा रहा है,
सिकुड़ जायेंगे गम के चादर , उम्मीद जगा लिया इसी हिचकिचाहट में,
जोरों से चीखता रहा दिल, सन्नाटे की चाहत में,
क्या जिंदगी का वक्त खतम नही हो सकता ,
ये दिल का घुटन कुछ कम नहीं हो सकता,
तड़प रहा है दिल इस कदर जैसे हर एक सांस मौत से लड़ रही हो,
दिल तो धड़क रहा है, पर धड़कन जैसे बड़ी मुश्किल से चल रही हो,
आज सब तो हैं साथ मेरे, पर खाक खुशी है इस राहत में,
जोरों से चीखता रहा दिल, सन्नाटे की चाहत में । "
© nainshi anand