पुलवामा शहादत
पुलवामा के वीरों से, घात करे थे घाटी में।
बैठे गोडसे दिल्ली में, जयचंद पावन माटी में।
गीदड़ पहुंचे शेरों तक, छल कर तेरी गोदी में।
हंसते-हंसते शहादत पाएं, नगराज की चोटी में।
गंगा यमुना चीख उठी,सिंदूर मिली जब माटी में।
भेंट चढ़ी थी कितनी राखी, जन्नत तेरी छाती में।
बेबस बुढ़ी आंखें...
बैठे गोडसे दिल्ली में, जयचंद पावन माटी में।
गीदड़ पहुंचे शेरों तक, छल कर तेरी गोदी में।
हंसते-हंसते शहादत पाएं, नगराज की चोटी में।
गंगा यमुना चीख उठी,सिंदूर मिली जब माटी में।
भेंट चढ़ी थी कितनी राखी, जन्नत तेरी छाती में।
बेबस बुढ़ी आंखें...