...

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सपना।
हिंडोले पर अपने
निंदिया रानी बुनती थी
बस सपना हीं सपना।।
सपना सहज सरल बहुत है
पर सपना कह देता
कभी कभी बात विरल है
अनुपम लेखा बुनता सपना
समझा जब देखा यह सपना।।
सपना स्नेह भाव जगाते
सपना द्वेष दूर लेकर जाते
भाव अलौकिक जगाता सपना
पस्त परेशां जो रोता जां को
उसको भी हँसा लाता सपना।।
सपना बना लाता अपना सब
सपना पहुँचाता जहाँ अपना रब
सच सपना तो अमूल्य देन एक
सपना हर रात जाँ सजाता अनेक।।
सपना अधरों पर मुस्कान है लाता
कभी नयनों के कोर भिगो जाता
पर सपना बन यूँ आना सपना
तुमसे बुन जाता कई तराना,
सुबह ने किवाङ खङकाई
चलो रात सजाने आना सपना
जब लूँ फिर फिर अंगड़ाई।।
✍️राजीव जिया कुमार
सासाराम,रोहतास,बिहार।



© rajiv kumar