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तो मैं तैयार हूं,,,,,
सजेगी महफिल गर उसकी गली, तो मैं तैयार हूं,
वो लाए तशरीफ गर महफ़िल में, तो मैं तैयार हूं,
करो इंतजाम सर ओ सामां का रहे न कमी कोई,
बाकी छोड़ दो मुझपे तुम अ साकी, तो मैं तैयार हूं,
और गजल दर गजल आज मैं महफ़िल सजा दूंगा,
गर सजानी हो पेशानी पे सिफर भी, तो मैं तैयार हूं,
और सुना है तैयार है वो भी, हद से गुजर जाने को,
करो ऐलान गुजरना पड़े गर हद से, तो मैं तैयार हूं,
आब गर दरकार हो, तो मैकशी का फायदा ही क्या,
गर घुले मय में आब-ए-तल्ख़ उसका, तो मैं तैयार हूं,
मैं निशाना हूं मख़्सूस गजलों का उसकी अ साकी,
गर वो करे वार वजा'-उल-क़ल्ब पे, तो मैं तैयार हूं,
और मैं हूं तन्हा बज्म में, उसके हक में जमाना है,
हो भी जाएं अदावतें गर रकीबों से, तो मैं तैयार हूं,
और दिल-शिकस्ता चूर है पहले ही, तो मैं क्या तोडूं,
मिले कोई अगर अहल ए दिल मुझ सा, तो मैं तैयार हूं,
उसे कह दो कि न दिखाए दिलफ़रेबी, वो मजमों में,
मेरा हमदर्द गर दिल जीत न पाए, तो मैं तैयार हूं,
करे वो इख्तियार कुछ हुनर, मह-ए-नौ अभी बाकी है,
बीतें जो घड़ियां तसव्वुर की अ साकी, तो मैं तैयार हूं,
© #mr_unique😔😔😔👎
वो लाए तशरीफ गर महफ़िल में, तो मैं तैयार हूं,
करो इंतजाम सर ओ सामां का रहे न कमी कोई,
बाकी छोड़ दो मुझपे तुम अ साकी, तो मैं तैयार हूं,
और गजल दर गजल आज मैं महफ़िल सजा दूंगा,
गर सजानी हो पेशानी पे सिफर भी, तो मैं तैयार हूं,
और सुना है तैयार है वो भी, हद से गुजर जाने को,
करो ऐलान गुजरना पड़े गर हद से, तो मैं तैयार हूं,
आब गर दरकार हो, तो मैकशी का फायदा ही क्या,
गर घुले मय में आब-ए-तल्ख़ उसका, तो मैं तैयार हूं,
मैं निशाना हूं मख़्सूस गजलों का उसकी अ साकी,
गर वो करे वार वजा'-उल-क़ल्ब पे, तो मैं तैयार हूं,
और मैं हूं तन्हा बज्म में, उसके हक में जमाना है,
हो भी जाएं अदावतें गर रकीबों से, तो मैं तैयार हूं,
और दिल-शिकस्ता चूर है पहले ही, तो मैं क्या तोडूं,
मिले कोई अगर अहल ए दिल मुझ सा, तो मैं तैयार हूं,
उसे कह दो कि न दिखाए दिलफ़रेबी, वो मजमों में,
मेरा हमदर्द गर दिल जीत न पाए, तो मैं तैयार हूं,
करे वो इख्तियार कुछ हुनर, मह-ए-नौ अभी बाकी है,
बीतें जो घड़ियां तसव्वुर की अ साकी, तो मैं तैयार हूं,
© #mr_unique😔😔😔👎
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