त्याग
घर के मंदिर में ममता की मूरत है वो,
प्यार के आईने में झलकती ईश्वर की सूरत है वो।
मोमबत्ती से जलती रहती है
और खुद दर्द सहती है वो,
दुजो को तो प्रकाश में करती है
पर खुद पिघलती रहती है वो।
अपनी खुशियों के पंख...
प्यार के आईने में झलकती ईश्वर की सूरत है वो।
मोमबत्ती से जलती रहती है
और खुद दर्द सहती है वो,
दुजो को तो प्रकाश में करती है
पर खुद पिघलती रहती है वो।
अपनी खुशियों के पंख...