अनकही दास्तां
कहता हूं तुमसे मैं अपनी, आज अनकही दास्तां,
जिससे तुम्हे कभी ना रहा, थोड़ा सा भी वास्ता ।
कहने को तो दिया तुमने, सम्मान बड़ा ही सस्ता,
आज मुझे देख बचा नहीं है, दुजा कोई भी रास्ता।
©®@Devideep3612
बहता गया यूं ही मैं भी,बातों में तेरी...
जिससे तुम्हे कभी ना रहा, थोड़ा सा भी वास्ता ।
कहने को तो दिया तुमने, सम्मान बड़ा ही सस्ता,
आज मुझे देख बचा नहीं है, दुजा कोई भी रास्ता।
©®@Devideep3612
बहता गया यूं ही मैं भी,बातों में तेरी...