...

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तुम जैसा ही ना हो
जरा सी ढील दी तो डोर फिसल सकती है
जरा कस कर थामना हाथ तेरे शहजादे का

और एक शेर भी है शेर को सवा शेर मिलता है
कहीं तुम जैसा ही ना वो अपने वादे का

तुम उलझा तो लोगी ना उसको अपनी आंखों में
कहीं जान ना ले अंजाम वो तेरे इरादे का

जरुरी नही हर बाजी में तेरी फतेह ही हो
मर्तबा कई रुतबा बड़ा देखा है प्यादे का

ये दामन दाग से ना भर लेना फिर ना साफ होगा
मोल ज्यादा नही लगता है लिबास सादे का

तेरे तो ख्वाब भी बड़े है सोच ले क्या होगा
तारे क्या करेंगे जब चांद तोड़ कर ला देगा

तू उसको जहर दे देना कोई मोहलत ना देना
मुझे शक है वरना वो तुझे जहर पिला देगा

तुझे शिकायत रही हमेशा " दीप " कुछ करता नही
मुझे बस ये देखना है वो तुझको क्या देगा

जरा सी ढील दी तो डोर फिसल सकती है
जरा कस कर थामना हाथ तेरे शहजादे का

और एक शेर भी है शेर को सवा शेर मिलता है
कहीं तुम जैसा ही ना वो अपने वादे का






© शायर मिजाज