ज़िन्दगी
हमारे लिए वक्त की रेत पर
कच्चे मकान " ज़िन्दगी " बनाती है
कभी क़िस्मत के हथौड़ों से
ये हमें बनाती और बिगाड़ती भी है
जज़्बातों के तूफ़ानों से
ये हमें आंधियों में जा फंसाती है
कभी उलझनों के सागर में
ये हमें डूबाती और किनारे पार लगाती भी है,
हमारे अंधकार के घरौंदों में
ये रौशनी के दिए जलाती है
कभी...
कच्चे मकान " ज़िन्दगी " बनाती है
कभी क़िस्मत के हथौड़ों से
ये हमें बनाती और बिगाड़ती भी है
जज़्बातों के तूफ़ानों से
ये हमें आंधियों में जा फंसाती है
कभी उलझनों के सागर में
ये हमें डूबाती और किनारे पार लगाती भी है,
हमारे अंधकार के घरौंदों में
ये रौशनी के दिए जलाती है
कभी...