...

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ज़िन्दगी
हमारे लिए वक्त की रेत पर
कच्चे मकान " ज़िन्दगी " बनाती है
कभी क़िस्मत के हथौड़ों से
ये हमें बनाती और बिगाड़ती भी है

जज़्बातों के तूफ़ानों से
ये हमें आंधियों में जा फंसाती है
कभी उलझनों के सागर में
ये हमें डूबाती और किनारे पार लगाती भी है,

हमारे अंधकार के घरौंदों में
ये रौशनी के दिए जलाती है
कभी दुखों के पहाड़ो से
ये हम सब पर कहर भी बरसाती है,

अपनो के चेहरे पर मुखौटें को
ये पल पल रंग बदलते दिखलाती है
कभी हजारों के भीड़ में
ये हमें चारों तरफ़ से तन्हा भी कर जाती है,

अपने कोरे कागज़ के पन्नों पर
ये हमारी सुख-दुख की कहानियां लिख जाती है
कभी हमारे ख्वाहिशों के अरमानों को
ये कुचल कर भी चली जाती है,

इंसानों में झूठ, फरेब, मक्कारी के
ये ना जाने कई पैतरे हमें दिखालाती है
जीवन के उथल-पुथल भरे सफ़र में
ये खुद के आईने से हमे रुबरू भी करवाती है।
© मेरे अल्फाज़....🦋