...

9 views

कविता सी पहेली है मेरी पक्की सहेली
दोपहरी में घर से निकली
सर पर ताने काली छतरी
मैं और मेरी काली छतरी
साथ चल पड़े जल्दी-जल्दी

इतनी जल्दी में देख कर
हंसी ठहाका लगाया सूरज
कहां को निकली दोनों सहेली
इतनी धूप में सुलझाने कौन सी पहेली

देख उसे हमने मुंह फुलाया
हमें देख वह फिर मुस्काया

उसकी...