शीर्षक - एक सितम।
शीर्षक - एक सितम।
हर दिन ख़ुदपे एक सितम कर रहा हूँ।
याद में डूब आँखों को नम कर रहा हूँ।
हर दिन रूह से बुरे से बुरा बर्ताव मेरा,
मैं ख़ुदको वाहियात ज़िस्म कर रहा हूँ।
अपनी हरकतों से रोज एक नया दर्द,
ज़रा भी नहीं ख़ुदपे रहम कर रहा हूँ।
कुरेद-कुरेद दिन-ब-दिन ज़ख्मो को,
ताज़ा हर ज़ख़्म का जख़्म...
हर दिन ख़ुदपे एक सितम कर रहा हूँ।
याद में डूब आँखों को नम कर रहा हूँ।
हर दिन रूह से बुरे से बुरा बर्ताव मेरा,
मैं ख़ुदको वाहियात ज़िस्म कर रहा हूँ।
अपनी हरकतों से रोज एक नया दर्द,
ज़रा भी नहीं ख़ुदपे रहम कर रहा हूँ।
कुरेद-कुरेद दिन-ब-दिन ज़ख्मो को,
ताज़ा हर ज़ख़्म का जख़्म...