//मलमल से ख़्याल//
"मेहरबान ख़्वाहिशें मन की सुलझ जाती है,
ज़हन में सबकी रह रह कर सुलग जाती है।
मलमल से ख़्याल , रूह तक को गुदगुदा जाते हैं,
ख़ामोशी में रहना सिखाकर सपने बुदबुदा जाते हैं।
मुस्कुराते...
ज़हन में सबकी रह रह कर सुलग जाती है।
मलमल से ख़्याल , रूह तक को गुदगुदा जाते हैं,
ख़ामोशी में रहना सिखाकर सपने बुदबुदा जाते हैं।
मुस्कुराते...