...

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Kya hu mai...🌿
ख़ुद से कहूं या तुझ से कहूं,
तेरे सिकवे में कितना सहूं
वक्त से बेवक्त तक कितना मैं लडू
इससे भला तो यही है
कि कुछ भी न मैं कहूं
देर रात तक अक्सर मैं
बस यही सोचा करू
कब तक यूं अंधेरी फिजाओं में बहु
किस्मत की समझू की है ये...