हाय यह महंगाई...🙄😔😖😅
हाय हाय रे महंगाई।
लिखना चाहा तुझ पर,
हाय पर लिख ना पाई।
पैसे कागज खरीदने को नहीं,
हुई पहुँच के बाहर स्याही|
हाथों से बच्चों के गई टॉफी,
और गई चीन मुंह से मिठाई|
हाय हाय रे महंगाई।
लिखना चाहा तुझ पर,
हाय पर लिख ना पाई।
ठेकेदारों ने भरके माल गोदामों में,
दिखाई खूब चतुराई;
जब ना होगा बाजारों में माल,
होगी इनकी काले धनो की कमाई|
हाय हाय रे महंगाई।
लिखना चाहा तुझ पर,
हाय पर लिख ना पाई।
मेहमानों को ना चाय पिलाई,
क्योंकि चीनी खरीद ना पाई,
चलाया काम पानी से ही,
क्या करूं खरीदने को पैसे नहीं|
हाय हाय रे महंगाई।
लिखना चाहा तुझ पर,
हाय पर लिख ना पाई।
खीर पूरी भूल गई,
ना जाने क्या है घी, दूध और दही,
मैंने बस नमक और सूखी रोटी है खाई|
हाय हाय रे महंगाई।
लिखना चाहा तुझ पर,
हाय पर लिख ना पाई।
मत ही करो बात प्याज की,
हो रही है आज सोने के दामों में बिकाई|
हे महंगाई, हे महंगाई छूलि है तूने,
आसमान की ऊंचाई|
हाय हाय रे महंगाई,
हाय हाय रे महंगाई,
लिखना चाहा तुझ पर,
हाय पर लिख ना पाई।
- Niyati.Roshan.k.Gupta
(niyati✨)
© All Rights Reserved
लिखना चाहा तुझ पर,
हाय पर लिख ना पाई।
पैसे कागज खरीदने को नहीं,
हुई पहुँच के बाहर स्याही|
हाथों से बच्चों के गई टॉफी,
और गई चीन मुंह से मिठाई|
हाय हाय रे महंगाई।
लिखना चाहा तुझ पर,
हाय पर लिख ना पाई।
ठेकेदारों ने भरके माल गोदामों में,
दिखाई खूब चतुराई;
जब ना होगा बाजारों में माल,
होगी इनकी काले धनो की कमाई|
हाय हाय रे महंगाई।
लिखना चाहा तुझ पर,
हाय पर लिख ना पाई।
मेहमानों को ना चाय पिलाई,
क्योंकि चीनी खरीद ना पाई,
चलाया काम पानी से ही,
क्या करूं खरीदने को पैसे नहीं|
हाय हाय रे महंगाई।
लिखना चाहा तुझ पर,
हाय पर लिख ना पाई।
खीर पूरी भूल गई,
ना जाने क्या है घी, दूध और दही,
मैंने बस नमक और सूखी रोटी है खाई|
हाय हाय रे महंगाई।
लिखना चाहा तुझ पर,
हाय पर लिख ना पाई।
मत ही करो बात प्याज की,
हो रही है आज सोने के दामों में बिकाई|
हे महंगाई, हे महंगाई छूलि है तूने,
आसमान की ऊंचाई|
हाय हाय रे महंगाई,
हाय हाय रे महंगाई,
लिखना चाहा तुझ पर,
हाय पर लिख ना पाई।
- Niyati.Roshan.k.Gupta
(niyati✨)
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