...

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ये आशिक़ी मेरी

महंगी पड़ी आशिक़ी मेरी
बिखेरे सारे नज़ारे मेरी आखों के
लम्हें चुभते जैसे किसी पैने कंजर सी
भरते घाव अपने उन आखों के पानी से
पता नही ये फूलों के रास्ते में
कांटों का आना कब हुआ
मेहरबानी उन दुआओ की
जो मुझ तक ना...