रात सब जानती थी
ये रात सब जानती थी
मेरे दर्द को पहचानती थी
कितनी रातें जाग कर गुज़ारी
खिड़की पर रखीं लालटेन सब जानती थी
रोज़ भरोसा टूट रहा था
रिश्ता हाँथों से छूट रहा था
बटोरने की कोशिश कर रही
मेरी ज़िन्दगी रोज़ रोज़ घुट रही
ज़रा सी ज़िन्दगी ने
सबक बहुत सिखाया था
जख्म दिया तो मुझें
खुद पर विश्वास करना भी सिखाया था
© RrashmiP📝✍🏻️🥰
मेरे दर्द को पहचानती थी
कितनी रातें जाग कर गुज़ारी
खिड़की पर रखीं लालटेन सब जानती थी
रोज़ भरोसा टूट रहा था
रिश्ता हाँथों से छूट रहा था
बटोरने की कोशिश कर रही
मेरी ज़िन्दगी रोज़ रोज़ घुट रही
ज़रा सी ज़िन्दगी ने
सबक बहुत सिखाया था
जख्म दिया तो मुझें
खुद पर विश्वास करना भी सिखाया था
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