...

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तुम्हारा फर्ज़ है
ये कविता मैने 2021 मे अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस पर लिखी थी

बढ़े चलो तुम पथ पे अपने
लाख चाहे मुश्किले आयें
गर वीर हो योद्धा तुम
तो चुनौतियाँ आया ही करती हैं

मत घबराओ उनसे तुम
फिर चाहे कोई साथ दे ना दे
तुम खुद की विशाल ढाल बनो
पर मुश्किलों के सीने में

विजयश्री का ध्वज गाड़ना
तुम्हारा फ़र्ज़ है
हाँ फ़र्ज़ है

तुम फूल हो चमन के
पूरा खिलना तुम्हारा कर्ज़ है
फिर चाहे आंधी आये या गिरे बर्क़
खुश्बू फैलाना तुम्हारा फ़र्ज़ है.....!!

तुम लहर हो सागर की
जो नौकों को बहा देती है
जो हल्की सी हलचल में सुनामी ला देती है
फिर चाहे आये तूफ़ान या ना भी आये
तुम हवाओं का रुख करो

पर साहिल में आना और लौट जाना
तुम्हारा फ़र्ज़ है......!!!
हाँ फर्ज़ है

तुम मेघ...