...

7 views

जंजीर
#जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम
बिखरे ख्वाबों को जोड़कर

सबकुछ जो सोचा हैं ईमान संग
मुकम्मल करूंगा ख्वाबों की दास्तां
मेरा वजूद है इस जमीं पर कुछ तो
बना दूंगा मेरे मक़ाम को गुलिस्तां

रोना रातों में हार के बाद
इसमें क्या कुछ ग़लत है
पर फिर से कदमों को आगे रखना
ये सच्चे मुसाफ़िर की लत है

तोहमतें मुझपे लगाओगे
तों भी ना हम तुम से डरेंगे
ऐतबार है ख़ुद पर इतना
हम इन जंजीरों से कहां रूकेंगे
तोड़ूंगा बंदिशें जो लगाई है मुझ पर
तुम सब्र रखो यहां सब झुकेंगे

शब में जो मेहनती नूर है
वो इक दिन सबपे आएगा
तुम मंज़र याद रखना हरदम
जब दुनिया की बातों को ग़लत बताएगा

मुख्तसर है जिंदगी जानता हूं
पर मेरा पाया मक़ाम अमर हो जाएगा
जब भी याद करोगे तो दिल से करोगे
हर किसी के दिल पे मेरा असर हो जाएगा

मुकद्दर बदलना हाथों में हमारे
शिद्दत हो अगर तो कामिल सपने हैं
जो तुझे छोड़ गया अकेला राह में
तो सुन यहां सिर्फ शोहरत में संग अपने है

तोड़ जंजीर तु बन जा निड़र
ख़ुद ही ख़ुद की बना लें डगर
-उत्सव कुलदीप







© utsav kuldeep