...

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"यादों का खेल"


जब दुःख के बादल छाते हैं,
तब अपनों के साये आते हैं।
पर खुशियों की जब बौछारें हों,
तो अपने भी पराए कहलाते हैं।

जो रोते थे संग हमारे,
आज मुस्कानों में गुम हो जाते हैं।
दर्द में...