...

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रे सुशासन
अब जागा है तू कब जागेगा
खा जायेगा सब कुछ कुशासन
रे सुशासन।
सत्तर सालों से बाट जोह रहा ,देश
राजनीति का बदल चुका है भेश
रे सुशासन।
बिक चुकी है नीतियां,टूटे हुए नियम
सो रही है जनता ,जाग रहा है भ्रम
रे सुशासन।...