...

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"सपने"
रखे हैं कुछ सपने
नींदों की आलमारी में
कोशिश सोने की
नींद ना आने की बीमारी में,

छूट जाते है कुछ सपने
जागते रहने की तैयारी में
रोज उग आते फिर सपने
उम्मीदों की क्यारी में,

भांति भांति रंग के सपने
सपनों की फुलवारी में
आते जाते रहते
अपनी अपनी बारी में।

रंगीन भी,रंगहीन भी सपने
मिलन के और बिछारी में
उलट पुलट होते
जैसी व्यापारी में।

याद भले से कुछ सपने
कुछ रहते बिसारी में
अचेत से कुछ
कुछ जैसे अघाड़ी में।

प्रेम के भी,भय के सपने
इसी दुनियादारी में
जैसे भी हों
बसते सिर्फ समझदारी में।

© अल्फाज