...

22 views

बचा रह गया प्रेम
आती-जाती रही
खुले द्वार से हर एक जीवनानुभूति,
हिफ़ाजत से रखा सहेजा फिर भी
मायाविनी सी अधूरा स्पर्श कर
बच कर निकलती रही
जाने क्यों कोई ठहरी ही नहीं,
कितनी बरक़तों की कोशिशें की
सुनहरी सदाओं से आरती की,
सब कुछ वक़्त के साथ ...