...

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तुम्हीं से।।
उगता हूं तुम्हीं से
ढलता हूं तुम्हीं से
कुछ दिन एक सा रहता हूं
फिर बदल जाता हूं तुम्हीं से
मौसम का दोष नहीं है
मुझको होश नहीं है
जीता भी तुम्हीं से
मर जाता भी हूं तुम्ही से
कुछ पाया नहीं मैंने
एक तेरे सिवा
तू ही दर्द बन गई
तू हीं बन गई है दवा
रब पा लिया पाकर तुझे
हर मोड़ तुम्हीं से
हर रास्ता तुम्हीं से
यूं कहूं मेरी जन्नत है तू
खुदा का मेरा अब है
वास्ता तुम्हीं से



© शब्द सारथी