"एक सवाल"
गुजरती हूं जब भी उधर से यही ख्याल आता है,
क्या कसूर है इनका बस यही सवाल सताता है।
जलने लगते है पांव हमारे जेठ की दोपहरी में ,
छाले नहीं पड़ते इनके क्या बिन चप्पल
दौड़ते गली में ।
दुबके रहते हैं कंबल,...
क्या कसूर है इनका बस यही सवाल सताता है।
जलने लगते है पांव हमारे जेठ की दोपहरी में ,
छाले नहीं पड़ते इनके क्या बिन चप्पल
दौड़ते गली में ।
दुबके रहते हैं कंबल,...