लाज़िम सवाल कितने
मुसलसल मुस्कराने पर लाज़िम सवाल कितने
अपनी सादगी ने भी किए हैं कमाल कितने
बेपरवाह हो गई राहें वक्त के अभाव में खो गया मैं
देखें जो अगर मुड़कर पीछे तो हैं भूचाल कितने
झूठ कह कर वह...
अपनी सादगी ने भी किए हैं कमाल कितने
बेपरवाह हो गई राहें वक्त के अभाव में खो गया मैं
देखें जो अगर मुड़कर पीछे तो हैं भूचाल कितने
झूठ कह कर वह...