Maa
माँ बस एक शब्द नहीं एहसास हैं.
लाखों अल्फाज़ो मे सबसे पाक है.
रूठे चेहऱे पे जो हसी ले आये.
काम न बनता हो जो वो भी बन जाये.
ख़ुद गुमसुम रह जो ख़ुशी भर देती है.
मैं हूँ ना साथ तेरे ये कहती है.
है ऋतु जो बसंत की नीयत जिसकी साफ़ है .
माँ एक शब्द नहीं एहसास है.
देखा है...
लाखों अल्फाज़ो मे सबसे पाक है.
रूठे चेहऱे पे जो हसी ले आये.
काम न बनता हो जो वो भी बन जाये.
ख़ुद गुमसुम रह जो ख़ुशी भर देती है.
मैं हूँ ना साथ तेरे ये कहती है.
है ऋतु जो बसंत की नीयत जिसकी साफ़ है .
माँ एक शब्द नहीं एहसास है.
देखा है...