सत्य पथ
सत्य पथ
आदि, अन्त और पथ वही है
उसी के रास्ते जीत
साहस बढ़ाओ चलने का उस पथ, जिसे आत्मा गई है भूल।।
अंतर्मन तेरे अंदर बैठा
सच्ची जग की बताएं रीत
एकांत में जा महसूस करो बस, तभी हो उससे प्रीत।।
कर्म किए बिन रह नही सकता
बस कर्म करने में रीझ
कर्म ही दाता कर्म विधाता, बस कर्म से मिले हर जीत।।
पक्षियों की वाणी स्वर घोलती
सदा...
आदि, अन्त और पथ वही है
उसी के रास्ते जीत
साहस बढ़ाओ चलने का उस पथ, जिसे आत्मा गई है भूल।।
अंतर्मन तेरे अंदर बैठा
सच्ची जग की बताएं रीत
एकांत में जा महसूस करो बस, तभी हो उससे प्रीत।।
कर्म किए बिन रह नही सकता
बस कर्म करने में रीझ
कर्म ही दाता कर्म विधाता, बस कर्म से मिले हर जीत।।
पक्षियों की वाणी स्वर घोलती
सदा...