ए शाम कुछ बोल
इन वादियों के रुहनियो के
कोई वद तो खोल,
हवाएँ झूम रही है मस्ती में क्यों
दो...
कोई वद तो खोल,
हवाएँ झूम रही है मस्ती में क्यों
दो...