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ग़ज़ल

राधा राणा की कलम से ✍️
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टूट कर शीशा बिखर यह जाएगा।
टुकड़ों में होकर किधर यह जाएगा।

आज रोज़ी को गया है आदमी,
गांव सारा,कल...