...

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तेरा साथ
जब वो बोल बसन्त के लाया है।
तो मैं गीत पतझड़ के क्यों गांऊ।।
वो ख्वाब सुहाने संग लाया है।
तो फिर मैं, बे-रातें क्यों जागूं।।
जब वो संग नदी सी बहती है।
तो फिर मैं दरिया पर क्यों बैठूं।।
जब वो संग हवा सी चलती है।
तो फिर मैं इन तूफ़ानों से क्यों डरूं।।
जब वो संग बारिशें लाया है।
तो फिर मैं प्यासा क्यों बैठूं।।
जब वो दिलचस्प कहानियां लाया है।
तो फिर मैं गुमसुम चुप कैसे बैठूं।।
जब वो बोल बसन्त के लाया है।
तो मैं गीत पतझड़ के क्यों गांऊ।।


© शिवाजय