...

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सिर्फ तुम
चांद- तारे तो नहीं, रोज गजरा लाया करूंगा;
तुम्हारे लिए घर भी जल्दी आया करूंगा,
तुम जो चाहो मेरी जान बनकर रहना;
मैं अपनी जान भी तुम पर लुटाया करूंगा,
खफा होकर मुझसे तुम जो रूठी कभी;
मैं अपनी जान कहकर मनाया करूंगा,
कभी छाई जो उदासी चेहरे पर तुम्हारे;
मैं अपने अल्फाजों से तुम्हें हंसाया करूंगा,
अब मान भी जाओ ना, थाम लो हाथ मेरा;
अपना बना कर कभी न पराया करूंगा,
हकीकत न सही, ख्यालों में ही अपना लो;
मैं इसी तरह तुम्हें रोज़ बुलाया करूंगा.....
© Naren07