...

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अब छोड़ दिया....
क़बूल है ज़िंदगी का
हर तोहफ़ा,
मैंने ख़्वाहिशों का नाम
बताना छोड़ दिया ॥

जो दिल के क़रीब है वो
मेरे अज़ीज़ है,
मैंने ग़ैरों पे हक़ जताना
छोड़ दिया ॥

जो समझ नहीं
सकते दर्द मेरा ,
मैंने उन्हें ज़ख्म
दिखाना छोड़ दिया ॥

जो गुज़रती है दिल पे
हक़ीक़त है मेरी ,
मैंने दिखावे के लिए
मुस्कुराना छोड़ दिया ॥

जो महसूस नहीं करते
ज़रूरत मेरी ,
मैंने उनका साथ
निभाना छोड़ दिया ॥

जो चाहते हैं रहना बस
नाराज़ मुझ से ,
मैंने उन्हें बार बार
मनाना छोड़ दिया ॥

जो मेरे अपने है वो
मिलेंगे ज़रूर मुझे,
मैंने बेवजह बंदिशें
लगाना छोड़ दिया॥

Nishu.........