...

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सुनहरी तितली
एक सुनहरी
तितली थी वो,
जो मेरे हृदय को,
स्पर्श कर उड़ चली।

न जाने कहाँ से
आयी थी वो,
दो पल का साथ,
और अगले जनम् का
इंतज़ार दे चली।

ढूँढूँ कहाँ-कहाँ उसे,
बस ख़्यालों...