...

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विरह वेदना

साथी ने जब नाता तोडा।
अब है केवल रोना।
मधुर मधूमास महीना लगता है मुझको सूना।।
अंतस का विरह फूट पडता,
नैनो के कोना- कोना।
कभी भोर की घडिओ मे ,
कुछ दबी हुई यादे,
चू पडती महुआ - सी
जिनसे पूरित है,
अंतस का कोना- कोना।।
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