कदम
चल पड़े हम,
लेके हाथ मे रम।
सिने मे कई गम,
जेब मे अठन्नियां कम।
है इतने जखम,
कि अब काम न करती कोई दवा, दुआ, या रसम।
दि है किसीको कसम,
वरना करदे थे जिंदगी भसम।
नहि कोई सनम,
ये कैसा सितम।
आँखें हैं नम,
न बाहुहो में दम,
फिर भी जिंदगी में बड़ा रहे है कदम।
© Rohit