आस्था
आस्था
राम कहो या बुद्ध कहो
चाहे भजो कबीर
प्राणवायु तुम्हें छोड़ जायेगा, पड़ा रहेगा शरीर।।
जिसको मानते उसको भज लो
हो थोड़े गंभीर
हर क्षण तेरा बीत रहा है, मृत्यु बड़ी समीप।।
माया-छाया छोड़ चलेगी
आगे खाली हाथ ही जाना वीर
जीवन रहते होते रिश्ते-नाते, फिर कौन लगाए तीर।।
अगला जीवन है किसने देखा
नर चाहे कोई जीव
कर्म सदा तेरा साथ निभाते, जिसने दुःख संग परिणाम में खुशियाँ दी।।
छल सकतें तुम हर किसी को
पीछा कर्म...
राम कहो या बुद्ध कहो
चाहे भजो कबीर
प्राणवायु तुम्हें छोड़ जायेगा, पड़ा रहेगा शरीर।।
जिसको मानते उसको भज लो
हो थोड़े गंभीर
हर क्षण तेरा बीत रहा है, मृत्यु बड़ी समीप।।
माया-छाया छोड़ चलेगी
आगे खाली हाथ ही जाना वीर
जीवन रहते होते रिश्ते-नाते, फिर कौन लगाए तीर।।
अगला जीवन है किसने देखा
नर चाहे कोई जीव
कर्म सदा तेरा साथ निभाते, जिसने दुःख संग परिणाम में खुशियाँ दी।।
छल सकतें तुम हर किसी को
पीछा कर्म...