...

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उसकी आंखे कमाल करती है
उसकी आंखे है के दरिया है.....
सब कुछ कहने का ज़रिया है.....

आंख से आंख मिला और बता सच क्या है....
तूने मेरे हक़ में आखिर फैसला किया क्या है...

मैं इस क़दर खतावार हूं बता मामला क्या है...
क्या यही है सच तो बता फिर झूठ क्या है ...

गवाही तेरी मानी है सबने एक साथ मेरे खिलाफ़...
सिक्कों की चमक ने क्या तुझको भी अंधा कर दिया है ...

अभी भी वक्त है झांक ले अपने गिरेबान मैं तू...
दफ़न ज़मीर को जो तूने पस्तियों में ले जाकर कर दिया है ...

मुझे यकीन है अपने रब पर के वो लेगा मेरा किसास...
पता चलेगा उस दिन के सज़ा ए गुनाह का ज़ायका क्या है ...
© sydakhtrr