...

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रूठी हुई ज़िंदगी।
कहते हैं कि ये ज़िंदगी केवल चार दिन की होती है,
कहते हैं कि ये ज़िंदगी चार दिन की चाँदनी होती है।

ये ज़िंदगी अज़ीब इसका कोई ऐतबार तो नहीं है,
कब राजा को रंक और रंक को राजा बनाती है।

कब तो ज़िंदगी किसी के पक्ष में पलट जाती है,
कब तो ये ज़िंदगी छलांग लगा कर...