क्या तुम मुझे भुला पाओगे...
मुझे बुरा अपने लिए नहीं लग रहा है ,
तरस तो हमे तुम पर आ रहा है।
अफसोस तो हमे तुम्हारे लिए लग रहा है।
की किसी को ज़िंदा दफना कर,
क्या तुम कभी अपनी ज़िन्दगी जी पाओगे।
की किसी कि सरी खुशियां लेकर,
क्या तुम कभी खुशहाल रह पाओगे।
की किसी क़ पूरी दुनिया उजाड़ कर,
उसकी पूरी ज़िन्दगी बरबाद कर ,
क्या तुम खुद कभी आबाद हो पाओगे।
की किसी के दिल में बसी तुम्हारे लिए मोहब्बत को बैच कर,
क्या तुम किसी और को खरीद पाओगे।
की जो निगाहें तुम्हारी...
तरस तो हमे तुम पर आ रहा है।
अफसोस तो हमे तुम्हारे लिए लग रहा है।
की किसी को ज़िंदा दफना कर,
क्या तुम कभी अपनी ज़िन्दगी जी पाओगे।
की किसी कि सरी खुशियां लेकर,
क्या तुम कभी खुशहाल रह पाओगे।
की किसी क़ पूरी दुनिया उजाड़ कर,
उसकी पूरी ज़िन्दगी बरबाद कर ,
क्या तुम खुद कभी आबाद हो पाओगे।
की किसी के दिल में बसी तुम्हारे लिए मोहब्बत को बैच कर,
क्या तुम किसी और को खरीद पाओगे।
की जो निगाहें तुम्हारी...