नगीना हैं
झुकी नज़रों से क्या देखेगा ज़माना तू सर उठा
के चल अगर जहान में जीना हैं,
शराब या ज़हर को छोड़ पीने का शौक़ हैं तो
अपने गमों को पीना हैं,
शरीफ खाते हैं रोज़ ही पत्थर अब इज़्ज़त होती
हैं जो बड़ा...
के चल अगर जहान में जीना हैं,
शराब या ज़हर को छोड़ पीने का शौक़ हैं तो
अपने गमों को पीना हैं,
शरीफ खाते हैं रोज़ ही पत्थर अब इज़्ज़त होती
हैं जो बड़ा...