...

7 views

नादान मन
#EmotionalDuality
नादान मन था कहीं लगता नहीं था !
जीवन के उतार चढ़ाव से डरता नहीं था !!

कब कहाँ किसी ओर जाना है चलता नहीं था !
था मन का ढीठ कभी बात समझता नहीं था !!

थक हार कर मैं भी बैठ गया कुछ बोलता नहीं था !
जिंदगी की आखरी पायदान पर थी जिंदगी रोकता नहीं था !!

करवटे बदलते हुए सुबह हो गई देखता नहीं था !
जिंदगी जब थक गई तो फिर आराम दिलाता नहीं था !!

अंजान था सफर फिर भी कुछ कहता नहीं था !
था मन का राजा वह भी मेरा इंतजार करता नहीं था !!

बदलाव की जरूरत पड़ती है जिंदगी में बदलता नहीं था !
जिंदगी का हो गया आज अंत अब जिंदा नहीं था !!

© ✍️ विश्वकर्मा जी