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नादान मन
#EmotionalDuality
नादान मन था कहीं लगता नहीं था !
जीवन के उतार चढ़ाव से डरता नहीं था !!
कब कहाँ किसी ओर जाना है चलता नहीं था !
था मन का ढीठ कभी बात समझता नहीं था !!
थक हार कर मैं भी बैठ गया कुछ बोलता नहीं था !
जिंदगी की आखरी पायदान पर थी जिंदगी रोकता नहीं था !!
करवटे बदलते हुए सुबह हो गई देखता नहीं था !
जिंदगी जब थक गई तो फिर आराम दिलाता नहीं था !!
अंजान था सफर फिर भी कुछ कहता नहीं था !
था मन का राजा वह भी मेरा इंतजार करता नहीं था !!
बदलाव की जरूरत पड़ती है जिंदगी में बदलता नहीं था !
जिंदगी का हो गया आज अंत अब जिंदा नहीं था !!
© ✍️ विश्वकर्मा जी
नादान मन था कहीं लगता नहीं था !
जीवन के उतार चढ़ाव से डरता नहीं था !!
कब कहाँ किसी ओर जाना है चलता नहीं था !
था मन का ढीठ कभी बात समझता नहीं था !!
थक हार कर मैं भी बैठ गया कुछ बोलता नहीं था !
जिंदगी की आखरी पायदान पर थी जिंदगी रोकता नहीं था !!
करवटे बदलते हुए सुबह हो गई देखता नहीं था !
जिंदगी जब थक गई तो फिर आराम दिलाता नहीं था !!
अंजान था सफर फिर भी कुछ कहता नहीं था !
था मन का राजा वह भी मेरा इंतजार करता नहीं था !!
बदलाव की जरूरत पड़ती है जिंदगी में बदलता नहीं था !
जिंदगी का हो गया आज अंत अब जिंदा नहीं था !!
© ✍️ विश्वकर्मा जी
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