अनकही दास्तां ...
बयां करना सिख ही चुके थे अपने जज्बातों को
कुछ अल्फाज़ो में इन कागजों पर उताना,
खुद्दार कहवाओ के झोके कुछ इस कदर आये हैं
कि अच्छे तो बहुत है लेकिन दिल से ना तो खुश और ना ही हम रो पाये हैं,
खुशियों से भरा है दिन रातें भी कमाल की है
लेकिन क्या...
कुछ अल्फाज़ो में इन कागजों पर उताना,
खुद्दार कहवाओ के झोके कुछ इस कदर आये हैं
कि अच्छे तो बहुत है लेकिन दिल से ना तो खुश और ना ही हम रो पाये हैं,
खुशियों से भरा है दिन रातें भी कमाल की है
लेकिन क्या...