कभी सोचा ही नहीं था
कभी सोचा ही नहीं था हांथ होगी काग़ज़ और कलम,
सोचा ही नहीं था रात सो नही पाएंगे हम,
सोचा ही नहीं था इस धरा पे स्वर्ग होता है,
सोचा ही नहीं था स्वर्ग वाले भी होंगे करम।
सोचा भी नही था मिलेगी सखा रि अप्सरा
कि इस धरा में उस तरह खयाल कहां आते हैं ,
वो भी बालक जो डरा–डरा था और थोड़ा
सरफिरा बुद्धि के परे माजरा ये ऊपर वाली बातें हैं।
दिन भी होते हैं इतने सुहाने सोचा नहीं था,
क्या दूंगा दोस्त को बहाने कभी सोचा नहीं था,
सोचा ही नहीं कभी कबीरा क्यों दीवाना था,
सुना था मीरा का भी प्रेम कभी सोचा नहीं था।
गुलाब भी बरसता है घटा से सोचा नहीं था,
सोम रस छलकता है घड़ा से सोचा नहीं था,
आंखों की रौशनी उस रौशनी से मात खाए,
रति हो सती ऐसा शबाब सोचा नहीं था।
नाम उठता जिस जगह पे उसका मैं भी वहीं था,
अब न सोचूं पहले वाला वक्त...
सोचा ही नहीं था रात सो नही पाएंगे हम,
सोचा ही नहीं था इस धरा पे स्वर्ग होता है,
सोचा ही नहीं था स्वर्ग वाले भी होंगे करम।
सोचा भी नही था मिलेगी सखा रि अप्सरा
कि इस धरा में उस तरह खयाल कहां आते हैं ,
वो भी बालक जो डरा–डरा था और थोड़ा
सरफिरा बुद्धि के परे माजरा ये ऊपर वाली बातें हैं।
दिन भी होते हैं इतने सुहाने सोचा नहीं था,
क्या दूंगा दोस्त को बहाने कभी सोचा नहीं था,
सोचा ही नहीं कभी कबीरा क्यों दीवाना था,
सुना था मीरा का भी प्रेम कभी सोचा नहीं था।
गुलाब भी बरसता है घटा से सोचा नहीं था,
सोम रस छलकता है घड़ा से सोचा नहीं था,
आंखों की रौशनी उस रौशनी से मात खाए,
रति हो सती ऐसा शबाब सोचा नहीं था।
नाम उठता जिस जगह पे उसका मैं भी वहीं था,
अब न सोचूं पहले वाला वक्त...