...

5 views

जाऊँ
तू हाँ कह दे, संवर जाऊँ, मैं हद से गुजर जाऊँ,
डूबने तेरी आंखों के दरिया में, मैं चारों पहर जाऊँ ।
वो मैं छुप के जमाने से, तेरे दीदार के सजदे,
पकड़ के शाम वाली रेल, मैं तेरे शहर जाऊँ।
लफ्जों में बयां कर दे, या फ़िर कह दे इशारों से, मुसाफिर ही रहूं या फिर, हमेशा को ठहर जाऊँ ।
माना तुम्हे चाहने वालों की लम्बी हैं कतारें पर,
तुझे जीत कर जमाने से, नाम अपने मैं कर जाऊँ ।
जो भी कहना है अब कह दे, ये देरी चुभ रही काफी, चलोगी साथ तुम या फिर मैं, अकेले ही घर जाऊँ ।
#dying4her
©AK47
© AK47