...

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wqt ki chadar...
वक़्त के चादर में तेरी सिलवटें हैं
तेरा होना अब तो मेरा बीता कल भी
भुला नहीं पायेगा
तू हर रात इस दिल को याद आएगा
बुझे हुए आग की तरह तू
सुबह की किरनो के साथ राख बन जाएगा
तुझे याद करना अब इस दिल की मजबूरी नहीं
इस दिल का अब ये ज़रिया है
एक शायर के लिए तू हर रात लफ़्ज़ बन जाएगा
वो लिखेगा तुझे हर रात पन्नो पर
तुझे अल्फाजों में वो क्या खूब सजाएगा
तेरी सिलवटे जो उस चादर में छूट गई है
अब ये वक़्त भी तुझे भुला नहीं पायेगा
© sandhya