world menstrural hygiene day
माँ आस्तिक है
और मैं नास्तिक
ये भेद सुबह की आरती में
खुलता है रोजाना
जब माँ पूजा करती है
मैं तकिये से कान ढक लेती हूँ
लेकिन फिर भी
पड़ोस कि लड़कियों कि तरह
मुझे एक निश्चित वक्त पर
आचार खाने-छुने की मनाही नहीं है
पड़ोस वाली भाभी कि तरह
मेरा रसोईघर में प्रवेश निषेध नहीं किया जाता
किसी भी और स्त्री की भांति
मेरे साथ छुआ-छात नहीं किया जाता
महीने के किसी भी दिन
पूरे परिवार के लिए
मन मर्ज़ी का खाना
बनाती और खिलाती हूँ
माँ कहती हैं
“कुरीतियों और आस्था का कोई संबंध नहीं है”
#poemsociety #poemoftheday #Poetizer #hindiwriteups #hindilove
और मैं नास्तिक
ये भेद सुबह की आरती में
खुलता है रोजाना
जब माँ पूजा करती है
मैं तकिये से कान ढक लेती हूँ
लेकिन फिर भी
पड़ोस कि लड़कियों कि तरह
मुझे एक निश्चित वक्त पर
आचार खाने-छुने की मनाही नहीं है
पड़ोस वाली भाभी कि तरह
मेरा रसोईघर में प्रवेश निषेध नहीं किया जाता
किसी भी और स्त्री की भांति
मेरे साथ छुआ-छात नहीं किया जाता
महीने के किसी भी दिन
पूरे परिवार के लिए
मन मर्ज़ी का खाना
बनाती और खिलाती हूँ
माँ कहती हैं
“कुरीतियों और आस्था का कोई संबंध नहीं है”
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