...

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दोस्त
मैं अगर अपने यादों के पिटारे खोलू तो
कुछ लम्हे याद आते हैं,
गौर से देखा तो पुराना दोस्त याद आता है!!
एक दोस्त था मेरा,
जो सिर्फ मेरा था..
मैं रुठु तो वो मुझे मनाए
मैं रोउ तो मुझे हसाए ,
ऐसा दोस्त था मेरा
हर पल नए किस्से खबरें सुनाए,
वो मेरे हर नाज उठाया करे...
वो फर्जी नामो से बुलाया करे,
वो क्रश का नाम हर पल
गुनगुनाया करे.....
मेरी हर शरारत में शामिल हुआ करे,
मेरी नादानी पर मुस्कुराया करे..!!
ऐसा था दोस्त मेरा
मेरी अक्सर नादानी में,
वो हक से मुझे डराया करे..
उदासी में मुझे हसाया करे..
नम आँखों से आसूं चुराया करे..
ऐसा था दोस्त मेरा..!!
This poem dedicated to my best friend....
❣️NEHA DINODIYA ❣️


© Komal Rajpurohit